23 मई से पहले कुछ भी कहना सही न होगा. लेकिन एक बार को सभी एग्जिट पोल को कुछ फीसदी ऊपर नीचे होते हुए सही मानें तो यह तय है कि एनडीए ही देश की सत्ता पर फिर काबिज होने जा रही है.
मोदी ने 2014 में सत्ता में आने से पहले कई बड़े बड़े वादे किए. उन पर वो खरे नहीं उतरे. वादे जुमले साबित हुए. पर अफसोस विपक्ष उन्हें जनता के बीच न ले जा पाया. राफेल पर राहुल ने प्रभावी हंगामा किया, पर आम आदमी का मुद्दा था ही नहीं. और अंत समय में उठाया गया.
मोदी इन पांच साल में विदेश में धमक के साथ अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुए. झूठे आंकड़े देने के बावजूद जब जब बड़ा निर्णय लेने की बारी आई, वो दमदार नजर आए. सर्जिकल, एयर स्ट्राइक जैसे मुद्दे.
यहां आज एक बार फिर लिख रहा हूं कि कांग्रेस के सभी दिग्गजों के एकजुट होने का समय है. एक परिवार विशेष की बजाय अब पार्टी की की कमान अशोक गहलोत, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सीपी जोशी, ए के एंटोनी, अहमद पटेल सरीखे किसी बड़े प्रभावी कंधे पर सौंपनी चाहिए. जो कांग्रेस को बचाए रखे.
बीजेपी में भी यही हुआ, लड़ झगड़ कर भारी नाराजगी पार्टी पलीतगी के बीच मोदी आगे किए गए. आडवाणी होते तो सत्ता न आती, फिर रिपीट के आसार न बनते.
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एक दिन फुर्सत में कुपात्र राजनैतिक पुत्रों के मोह पर भी लिखने का मन है. दुष्यंत, वरुण, वैभव पर करते हैं जिक्र-ए-भसड़ एक दिन.
-अमित