जिक्र-ए-भसड़…-अमित शर्मा-
आज तीर चुनाव आयोग पर. संवैधानिक संस्था पर सवाल उठाने की तो हिमाकत नहीं होनी चाहिए, पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और निर्भीक लेखनी कुछकर लिखने की इजाजत देती है. ऐसा क्यों होता है कि हम जब भी देश में चुनाव की बात करते हैं तो टीएन सैशन का नाम सामने आता है. इस सवाल का जवाब खंगालने के लिए बाबा गूगल के कदमों में मत्था टेका तो पता चला चुनाव आयुक्त लिंगदोह ने भी मिसाल कायम की हैं. हालांकि उनपर कांग्रेस प्रेरित होने के आरोप लगते रहे लेकिन बतौर चुनाव आयुक्त उन्होंने चुनावी हिंसा पर लगाम रखी. गुजरात और जे एंड के उनके कीर्तिमान हैं. टीएन सैशन को तो वोटर आईडी कार्ड का श्रेय जाता ही है. साथ ही चुनाव आयोग के नाखून और दांत हैं, ये सैशन के युग में ही देश की जनता और राजनेताओं को एहसास हुआ.
अब सवाल आज के परिप्रेक्ष्य में. विपक्षी भी चुनाव आयोग पर सवाल उठा रहे हैं, सत्ता वाले भी. पर चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा क्यों कर कोई बड़ा कदम नहीं उठा पाए. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा तो उन्होंने कहा हमारे पास शक्तियां नहीं. गैरत पर बन आई तो बदजुबान नेताओं के प्रचार पर प्रतिबंध लगाया. कसम से बहुत खुशी हुई. लगा वाह, चुनाव आयोग, जे बात. साबास . पर पहले दिन से क्यों न जागे. चुनावों की तारीख के ऐलान से लेकर सातवें चरण में पश्चिम बंगाल में प्रचार एक दिन पहले थामने तक में सुनील आरोड़ा और उनका आयोग सवालों के घेरे में ही रहा.क्लीन चिट पर वो घिरे. आयोग में भी दरार की बातें सामने आईं.
नजीर देना खुद के लिए नहीं, संस्था की साख के लिए भी जरूरी होता है. अगर बंगाल में प्रचार रात दस बजे की बजाए सुबह से बैन होता और प्रधानमंत्री की रैलियां रद्द हो जाती, यकीन मानिए अरोड़ा का नाम भी सैशन, लिंगदोह वाली कतार में ले लिया जाता. पर नहीं.. ये खामोशी क्यों? ये बेबसी क्यों! ‘सत्याग्रह’ को दिए एक साक्षात्कार में सुनील अरोड़ा ने महाराष्ट्र के एक नेता का हवाला देकर कहा कि वो कह रहे हैं हम सत्ता में आकर चुनाव आयुक्त को जेल डाल देंगे. सुनील जी… तो… जेल चले जाना.. पर इतिहास तो आपके आयोग को बेबाकी के लिए याद करेगा..
देश में चुनाव कराना सामान्य बात नहीं. मैं एक बार फिर हर उस सरकारी कर्मचारी, पुलिस वाले को बधाई देता हूं जो चुनाव की खातिर गर्मी में पिलते हैं. पर… मुख्य चुनाव आयुक्त का रवैया हताश कर देना वाला रहा.
पॉलेटिकल एक्सपर्ट अपडेट भी करें.. कि सैशन और लिंगदोह की तरह और कौन कौन से नाम हैं जिन्होंने इस पद पर रहकर मिसाल कायम रही. और सुनील अरोड़ा की तरह वो कौनसे नाम है, जिन्होंने कमोबेश नाउम्मीद किया ? अब तक कुल 23 मुख्य चुनाव आयुक्त देश ने देखे हैं.
#election2019 #election #India #Indianelection #EVM #ECI #BJP #INC#StrongECI #AmitSharmaJournalist #Media #ApniBat

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here